निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
बस आस की एक किरण थी जो समुद्री की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
तताँरा वामीरो को पहली ही नज़र में बेहद प्रेम करने लगा था। वह उसकी प्रतिक्षा में अपने जीवन की संपूर्ण आस लगाए बैठा था। तताँरा ने वामीरो से मिलने के लिए कहा और वह शाम के समय वहाँ जाकर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे-जैसे सूरज डूब रहा था, उसको वामीरो के न आने की आशंका होने लगी। जिस प्रकार सूर्य की किरणें समुद्र की लहरों में कभी दिखती तो कभी छिप जाती थी, उसी तरह तताँरा के मन में भी उम्मीद बनती और डूबने लगती थी। उसे लगता है कि आशा की यह किरण वामीरो के न आने पर समुद्र में डूबते सूर्य की किरणों के समान कहीं डूब न जाए।